कश्मीर बनेगा पूरा भारत
चाहे जितना भी बनो सेक्युलर, पर रहोगे आखिर काफिर ही ;
मौका मिलते ही मारे जाओगे , म्लेच्छ सदा से शातिर ही ।
सबसे बड़ा म्लेच्छ है नेता , भारत का अब्बासी-हिंदू ;
तन-मन-धन से खतनाधारी , कहीं से नहीं है हिंदू ।
अपने-धर्म में आओ हिंदू ! मजहब को भी जानना होगा ;
जेहाद को अच्छी तरह से जानो , तब ही उससे बचना होगा ।
कश्मीर बनेगा पूरा भारत , बहुत शीघ्र होने वाला है ;
अब्बासी-हिंदू नेता के रहते , हिंदू ! तू मिटने वाला है ।
संभल सको तो अभी संभल जा , आगे मौका नहीं मिलेगा ;
सेना पूरी तरह है निर्बल , अग्निवीर क्या कहीं टिकेगा ?
भारतवर्ष मिटा देने की , साजिश पूरी सफल हो रही ;
धर्महीन हो रहा है हिंदू , जेहादी लोगों की मौज हो रही ।
शक्तिस्रोत है धर्म-सनातन, हिंदू ! को इसमें आना होगा ;
वरना यूॅं ही मरो-कटोगे या अच्छी-सरकार बनाना होगा ।
अभी तो दोनों बात नहीं है, हिंदू ! तुझको मरना ही होगा ;
धर्महीन-अज्ञानी हिंदू ! को , अपना सर कटवाना होगा ।
अब्बासी-हिंदू महाम्लेच्छ है , हिंदू होने का स्वांग रचाये ;
तिलक-त्रिपुण्ड से धोखा देकर , गजवायेहिंद को करवाये ।
इसने कितने मंदिर तोड़े ? हिंदू को फिर भी जोश न आया ;
राम-मंदिर तक भ्रष्ट कर दिया, मूरख-हिंदू को होश न आया ।
वक्फ-एक्ट को नहीं समझता , फिर भी ताली पीट रहा है ;
तीन-शतक से अधिक योजना , म्लेच्छों को आगे बढ़ा रहा है ।
हिंदू का धन लूट-लूट कर , जजिया में बंटवाता है ;
हिंदू पर है टैक्स-डकैती , फिर भी सर कटवाता है ।
हिंदू ! पूरी तरह लुट रहा , जान-माल-सम्मान लुट रहा ;
जगह-जगह जेहाद चल रहे , भारत पूरी तरह पिट रहा ।
कहीं नहीं भारत की इज्जत, अब्बासी-हिंदू ने नाक कटा दी ;
केवल लफ्फाजी व जुमलेबाजी, भारत की पूरी भद्द पिटा दी ।
महामूढ़ है – महामूर्ख है , धर्महीन – अज्ञानी हिंदू ;
अब तक अपना शत्रु न जाना , जो नेता अब्बासी-हिंदू ।
देश की सत्ता उन हाथों में , जो शासन करना नहीं जानते ;
चुनाव-आयोग बेईमान है पूरा , ईवीएम से सत्ता पाते ।
हिंदू ! तेरा बचना मुश्किल है , तेरे रक्षक ही भक्षक हैं ;
तेरे चौकीदार चोर हैं , जहरीले-नागों में तक्षक हैं ।
जीते जी ही चिता सजा ले या अच्छी-सरकार बना ले ;
या शस्त्र-शास्त्र का पूर्ण-प्रशिक्षण,कोई एक मार्ग अपना ले ।