Sumant Vidwans कुछ मासूम लोग सोचते हैं कि पर्यटक यदि काश्मीर जाना बन्द कर दें, तो वहाँ के भारत विरोधी लोगों की अकल ठिकाने आ जाएगी।
जब लोग तर्क की बजाय केवल भावनाओं से चलते हैं, तो ऐसा ही होता है।
वास्तव में काश्मीर का पर्यटन उद्योग केवल 8 हजार करोड़ के लगभग है। उस हिसाब से सोचें, तो 2014 से 2024 तक काश्मीर को पर्यटन से लगभग 80 हजार करोड़ की आय हुई होगी। लेकिन 2019 से कर्फ्यू, कोविड, 370 जैसी परिस्थितियों के कारण कम से कम 2022 तक वहाँ पर्यटन उद्योग सुस्त रहा होगा। उन 4 वर्षों के 32 हजार करोड़ घटा दें, तो 2014 से 2024 तक काश्मीर को पर्यटन से लगभग 50 हजार करोड़ की आय हुई होगी।
यह 50 हजार करोड़ की राशि आपको बहुत बड़ी लगती होगी, लेकिन केन्द्र सरकार ने 2014 से 2024 तक काश्मीर को जो 6 लाख करोड़ की सौगातें दी है, उसके आगे ये 50 हजार करोड़ कुछ भी नहीं है। इस बात में भी कोई संदेह नहीं है कि जैसे ही वहाँ पर्यटन उद्योग (या किसी भी उद्योग) को घाटा होना शुरू होगा, तो केन्द्र सरकार तुरंत आगे बढ़कर उसकी भरपाई के लिए दुगुनी या तिगुनी राशि और लुटा देगी।
मैं आपकी इस बात से सहमत हूँ कि जो अपना विरोधी है, उसका बहिष्कार किया जाना चाहिए और उसे घुटनों पर झुकाया जाना चाहिए, न कि उस पर धन लुटाकर उसे और मजबूत करना चाहिए। लेकिन ये बात आम पर्यटकों को समझाने की बजाय केन्द्र सरकार को समझाइए।
देश में ये अद्भुत लहर चल रही है कि सरकार व उसके नेता से कोई सवाल न पूछा जाए, बल्कि उनकी हर गलत नीति और हर विफलता के लिए किसी न किसी दूसरे को दोष दिया जाए। आप शुतुरमुर्ग के समान रेत में गर्दन छिपाकर बैठे रहिए। एक दिन न गर्दन बचेगी और न आप। केवल रेत रह जाएगी।
काश्मीर के लिए कल तक पाकिस्तान को दोष दिया जाता था, आज पर्यटकों को ही दोषी ठहराया जा रहा है। बंगाल में जो हिन्दू मारे जा रहे हैं, उसके लिए भी उन्हीं को दोष दिया जा रहा है। यह विचित्र उन्माद चल रहा है।
जब काश्मीर से 370 हटाई गई, तो हम सबने सरकार का समर्थन किया था। लेकिन उसके बाद न केवल काश्मीरी पंडितों को बल्कि बड़ी संख्या में उप्र, राजस्थान, बिहार, झारखंड और अन्य कई राज्यों के लाखों लोगों को मुफ्त जमीनें देकर वहाँ बसाया जाना चाहिए था। इसकी बजाय उधर सऊदी अरब और यूएई जैसे पाकिस्तान परस्त देशों को काश्मीर में निवेश के लिए बुलाया गया और इधर डोमिसाइल वाला कानून लाकर पिछले दरवाजे से 370 की बहाली भी कर दी गई।
बंगाल के लिए कहा गया कि हिन्दुओं ने पिछली बार भाजपा को बहुमत नहीं दिया था, इसलिए वे मरने के ही काबिल हैं। लेकिन ये किसी ने नहीं सोचा कि उसी बंगाल ने भाजपा को 65 विधायक, 14 सांसद और लाखों वोट भी दिए हैं। उनके लिए खड़ा होना तो दूर, उल्टे दंगाइयों को बचाने के लिए भाजपा के लोग ही तर्क दे रहे हैं कि ये सब दंगे बांग्लादेशी घुसपैठियों ने किए हैं।
मणिपुर में तो भाजपा की सरकार थी, फिर भी दो साल से वहाँ गृहयुद्ध चल रहा है। उसके लिए भी केन्द्र सरकार दोषी नहीं है। उसके लिए बताया गया कि बर्मा से आने वाले तस्करों, अमरीका से आने वाले ईसाई धर्म प्रचारकों और ड्रग्स की खेती के कारण मणिपुर में ये सब हो रहा है।
काश्मीर के लिए पाकिस्तान दोषी है, मणिपुर के लिए बर्मा दोषी है और बंगाल के लिए बांग्लादेश जिम्मेदार है। लेकिन देश की सुरक्षा जिस सरकार की जिम्मेदारी है, उससे कोई सवाल पूछना अब अक्षम्य अपराध के समान है।
हर राज्य में चुनाव से पहले लोगों से कहा जाता है कि भाजपा की जीत उनकी सुरक्षा और समृद्धि की गारंटी है।अगर भाजपा चुनाव हार जाए, तो कहा जाता है कि वहाँ के लोग मरने के ही काबिल हैं। अगर भाजपा चुनाव जीत जाए, तो कहा जाता है कि पुलिस हर किसी की रक्षा नहीं कर सकती, इसलिए कायरों के समान घर बैठने की बजाय खुद सड़क पर उतरकर अपना बचाव कर लो। फिर अगर कोई ऐसा करने की सोचे, तो कानून व्यवस्था बिगाड़ने के आरोप में सबसे पहले उसी को अंदर किया जाता है।
नागपुर, गुना, कानपुर या वडोदरा न तो बंगाल में है, न केरल में, न काश्मीर में। ये शहर उन राज्यों में हैं, जहाँ दस-दस, बीस-बीस सालों से भाजपा की सरकारें हैं। फिर भी वहाँ दंगे, तोड़फोड़, गुंडागर्दी सब आज भी होता रहता है। ये बात देश के किसी भी शहर पर लागू हो सकती है।
जो लोग सोचते हैं कि प्रधानमंत्री से कोई सवाल न पूछा जाए, उनमें और पुराने काल के गुलामों में कोई अंतर नहीं है। लेकिन जिन्होंने अपनी बुद्धि सरकार के पास गिरवी नहीं रखी है, उन्हें भारतीय समाज की इस गिरावट के बारे में अवश्य सोचना चाहिए।
वैसे तो भारत का हर मुख्यमंत्री पूरी सुरक्षा और तामझाम के साथ रहता है, लेकिन केजरीवाल से सवाल इसी कारण पूछा जाता था क्योंकि उसी ने बढ़चढकर दावे किए थे कि सादगी से रहूंगा, सुरक्षा नहीं लूंगा और वैगन आर में घूमूंगा। अगर वो ऐसी ठगी न करता, तो लोग भी उससे ऐसे सवाल न पूछते। भगवंत मान भी उसी पार्टी का मुख्यमंत्री है, पर उससे कोई नहीं पूछ रहा है कि सरकारी बंगला या गाड़ी क्यों ली है।
जिस प्रधानमंत्री ने बढ़-चढकर दावे किए थे कि सब गुंडे-दंगाइयों, अपराधियों, भ्रष्टाचारियों को ठोक पीटकर ठीक कर दिया जाएगा, उसके 11 साल का शासन बीत जाने पर भी जब सुरक्षा और सुशासन की स्थिति सुधरने की बजाय बिगड़ती ही जा रही है, तो जिन लोगों ने उसे वोट दिया था, उन्हें उससे सवाल पूछने का अधिकार भी है और जो लोग भारत को अपना देश मानते हैं, उनका यह कर्तव्य भी है।
मैं जो बात बहुत पहले कह चुका हूँ, वह फिर से दोहराता हूँ। आप चाहे जितनी सड़कें, फ्लाई ओवर, पुल और बुलेट ट्रेन बना लीजिए, लेकिन अगर उनकी सुरक्षा की पक्की व्यवस्था नहीं करेंगे, तो आपका सारा विकास केवल ताश के पत्तों का महल है, जो एक फूंक में गिराया जा सकता है। हजार साल पहले भारत में आज से हजार गुना ज्यादा विकास था। आपका समृद्धि महामार्ग जितनी समृद्धि ला सकता है, उससे हजार गुना ज्यादा समृद्धि हजार साल पहले के भारत में थी। लेकिन सुरक्षा पर पूरा ध्यान नहीं दिया, दोस्त और दुश्मन की सही पहचान नहीं की और दुनिया भर में क्या चल रहा है, इसकी जानकारी नहीं रखी, इसलिए हजार सालों की गुलामी झेलनी पड़ी और सारी समृद्धि और विकास नष्ट हो गया। जो लोग आज भी वही गलती कर रहे हैं, वे अपनी अगली पीढ़ियों को गुलामी में धकेलने की व्यवस्था कर रहे हैं।
आप मेरी बातों से कितने असहमत हैं या मेरे बारे में आपकी क्या राय है, उससे मुझे रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता। मुझे रवीश कुमार से लेकर सोरोस का एजेंट तक सब कहा जा चुका है। उससे मेरे जीवन में कुछ नहीं बदलने वाला है। लेकिन आपके नेता जो मूर्खता कर रहे हैं, उसका परिणाम आपके बच्चों को भुगतना पड़ेगा। एक न एक दिन आपको यह बात समझ आ जाएगी और उस दिन आपको मेरी बातों का अर्थ भी समझ आ जाएगा। तब तक आप आँखें मूंदकर अमृत-काल का अनुभव लीजिए। सादर!