संदीप देव। हिन्दू और मुस्लिम परिवार के संस्कार, शिक्षा और समाजीकरण में अंतर देखिए। मुस्लिम बेटी जहां इस्लाम को पढ़ कर उसके अनुसार रहन-सहन को अपना कर चल रही है, वही हिंदू बेटी के घर में सनातन धर्म की शिक्षा का यह स्तर है कि उसका धर्म अब हिंदू नहीं ‘मानवता’ है! सुनने में यह साउंड आपको अच्छा लगेगा, लेकिन जान लीजिए कि जड़ विहीन पेड़ से बना फर्नीचर भी अच्छा ही लगता है, परंतु उसमें प्राण नहीं होता!
यदि उस बेटी के घर में सनातन धर्म का माहौल होता तो मानवता की घोषणा का यूं दिखावा नहीं करना पड़ता, क्योंकि सनातन धर्म से बड़ा मानवता का कल्याण और कहां है? गलती बेटे या बेटियों की नहीं, हिंदू अभिभावकों में है, जो घर का वातावरण धर्म विहीन बनाने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं!
यहूदी, मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध- सभी के पास अपना-अपना देश है, परन्तु तथाकथित मानवतावादी हिंदू अपने ही देश में धर्म पूछकर मारे और भगाए जा रहे हैं, और यह सब उन अभिभावकों के कारण हो रहा है, जो अपने धर्म का बेसिक भी अपने बच्चों को नहीं सिखा पाए हैं। कमोबेश घर हिंदू घर की यही स्थिति है।
और हां, पोलिटिकल बयानबाजी हिंदू धर्म नहीं है, अतः पोलिटिकल हिंदू भी सनातनी हिंदू नहीं है, बल्कि वह पार्टीबाज हिंदू हैं! हिंदुओं के घर से धीरे-धीरे गुरु, गोविंद एवं ग्रंथ-गायब होते जा रहे हैं और नेता, पार्टी व संगठन भरता जा रहा है!
अतः इस मानवतावादी बच्ची या इसके परिवार को कोस कर या गाली देकर अपनी कुंठा प्रदर्शित करने की जगह सोचिएगा कि सनातन धर्म का ज्ञान प्राप्त करने के लिए आप या आपका परिवार कितना कदम चला है?