मेरे प्रिय भारत के हिंदू बुद्धिजीवीओ,
( खास तो समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनल्स में लिखते बोलते कॉलमिस्ट, लेखकों, न्यूज़ एडिटर्स, डिबेटर्स )
आज इस खुले पत्र से आप से बात करना चाहता हुं
पहलगाम हमले में 26 हिंदुओ की हत्या कर दी गई । न्यूज़ मीडिया अपने हिसाब से प्रस्तुत कर रहे है । इस घटना को भारतीयों पर हमला, पर्यटकों पर हमला खपाकर बताकर खतना और कलमा चेक कर के कत्ल करनेवाले जिहादी गाजीओ की राक्षसी विचारधारा को व्हाइट वॉश या डिफ़ॉक्स कर रहे है ।
एक समय ऐसा था बोलने, लिखने का एकाधिकार नेताओ, कॉलमिस्ट और लेखकों के पास ही था । सारे प्लेटफॉर्म इन्ही के पास थे, सारे प्लेटफॉर्म भी वन वे थे जहां पाठक और दर्शक अपना फीडबैक नही रख सकते थे । इसलिए उनको लगता था कि हम ही सब जानते है, हम ही सब से ज्यादा पढतेलिखते है और हमने कह दिया उसी पर सारे देश को चलना चाहिए । लेकिन आज इंटरनेट के जमाने मे ये विद्वता के एकतरफा दावे और एकतरफा नैरेटिव चलने वाले नही है । सोसियल मीडिया ने आज उन लोगो को भी लिखने बोलने का प्लेटफॉर्म दिया है जो बाय प्रोफेसन कोलमिस्ट, लेखक या पत्रकार नही है किंतु किसी विषय मे उनका अभ्यास और अच्छी पकड़ है ।
आज इंटरनेट पर मौलाना मौदूदी द्वारा कुरान की तफसिर, हदीस ( सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम, सुन्नन अन-नसाई, सुनन अबी दाऊद, जामी अत-तिर्मिज़ी, सुनन इब्न माजा ), इब्ने इशाक की सीरत रसूल अल्लाह, अली कूफ़ी की चचनामा, औरंगजेब का फ़तवा ए आलमगीर,
सैयद अतहर अब्बास रिज़वी द्वारा अनुवादित एवम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित सल्तनत कालीन मुग़ल कालीन इतिहास की पुस्तकें, सीरियन डॉक्टर वफ़ा सुलतान की ध गॉड हु हेट्स, सोमालियन अयान हिरसी अली की Nomad: From Islam to America, पाकिस्तानी अनवर शेख की Faith and deception, पाकिस्तानी हैरिस सुल्तान की The Curse of God, पाकिस्तानी री. मेजर जनरल अकबर खान की Raiders In Kashmir, पाकिस्तानी ब्रिगेडियर जनरल एस. के. मलिक The Quranic Concept Of War, बांग्लादेशी तस्लीमा नसरीन की लज्जा, रॉबर्ट स्पेंसर की History of Jihad, डॉ. एंड्रयू बोशम की The Legacy of Jihad: Islamic Holy War and the Fate of Non-Muslims, प्रो. बिल वार्नर की Sharia Law for the Non – Muslim, A Self-Study Course on Political Islam, अरुण शौरी की फतवा उलेमा और उनकी दुनिया, शंकर शरण की जिहादी आतंकवाद, राम स्वरूप की हदीश के माध्यम से इस्लाम का अध्ययन, सीताराम गॉयल की The Calcutta petition और Muslim separatism: causes and consequences वगेरह वगेरह एक क्लिक पर उपलब्ध है । हो सकता है कि आप लोग इनका अभ्यास करते हो या न करते हो, लेकिन हजारों नही लाखो जागृत हिंदू उनको पढ़ समझ रहे है ।
एक दो वर्ष से नही कई वर्षों से एक ही नारे लगाकर भारत, स्पेन, सीरिया, ब्रिटन, लेबनॉन, फ्रांस, रशिया, इजरायल, अमेरिका में जिहादी हमले हो रहे है ? इंडोनेशिया, यूरोप, अमेरिका में कौन सा हिन्दू संगठन है जिस से खीज कर ये जिहादी हमले हो रहे है ? वहां कोई हिंदू नेता, वक्ता, पार्टी, संगठन नही है तो वहां ऐसा क्यो कर रहे है ? पूरे विश्व के अलग अलग देशों मे एक ही नारा पुकार कर, एक ही सिद्धांत की दुहाई देकर जिहादी हमले होते है तो ये कोई इत्तेफाक नही हो सकता, ये पैटर्न हो सकता है जो 10 वी कक्षा के बच्चे के तो समझ मे आ सकती है किंतु हमारे हिंदू बुध्दिजीवियों के समझ मे नही आ रही है । जिहादी कौन सी किताबे पढ़कर, किन रोल मॉडल्स से प्रेरणा लेकर हमले करते है मेइन स्ट्रीम मीडिया में इस पर कोई विमर्श ही नही होता । ऐसी घटनाओं का पन्नो भर भर के वर्णन लिखने बोलनेवाले “डर के मारे उन किताबो, सिद्धान्तों, जिहादी संगठनों के चार्टर पर चर्चा नही करना चाहते” जिन के तहत ये सब हो रहा है । जब ये हिम्मत नही जुटा सकते तो हिंदुओ को मानवता, अहिंसा, लोकतंत्र पर ज्ञान देने का आधार कहा से बचता है ?
आप अगर इन समस्याओं का कायमी समाधान चाहते है तो सारे पत्रकार, एडिटर्स, एंकर्स, प्रोफेसर्स, लेखक, कॉलमिस्ट जिहादियो के मूल सिद्धांतों पर मेइन स्ट्रीम मीडिया में चर्चा कीजिए और उसमें जो है वही सामने रखिए अपने सुगर कोटेड वर्जन बनाकर मत रखिए । हिंदू मुस्लिम दोनों समझदार है, कुछ चर्चाओं के बाद आपस मे बैठकर कोई समाधान निकाल लेंगे । भारतीय मुस्लिमो में भी बहुत राजा राममोहन हो सकते है लेकिन आपने उनको कभी प्लेटफॉर्म ही नही दिया । आज मुख्यधारा के लेखकों, कोलमिस्ट, वक्ताओँ की तरह यू ट्यूब पर ex muslim साहिल, समीर, एडम सीकर, सलिम वास्तिक, सचवाला, अब्दुल हमीद, दारा सिकोह की भी लाखो में फॉलोविंग है लेकिन शायद ही कोई मेंइन स्ट्रीम मीडिया उन पर स्टोरी, पॉडकास्ट या इंटरव्यू करता हो, उनकी बातों को अपने प्लेटफार्म देता हो । तथाकथित सेक्युलर मीडिया और तथाकथित गोदी मीडिया दोनों में इस मुद्दे पर एकराय होकर चुप्पी देखने को मिलती है । इनको बुद्धिपूर्वक इग्नोर करने या शेडो बेन करने से सूरज की रोशनी रोकी नही जा सकती ।
जो मुद्दे शास्त्रार्थ से सुलझ सकते है उन्हें सप्रेस कर के दंगों में क्यो उलझाना ? मोदी, संघ और भाजपा से घृणा हो तब तो ओर जल्दी ये काम करना चाहिए क्योंकि तब तो भाजपा के पास हिंदू मुसलमान का मुद्दा बचेगा ही नही ।
ये बड़े बड़े मकान, पद, धन दौलत, एशोआराम का जीवन पाकिस्तान में भी थे क्यो सब छोड़कर भागना पड़ा ? गांधी, विनोबाभावे, सरदार पटेल, नहेरु सब मिलकर जिनको नही समझा पाए उन्हें आप लोग समझा सकते है तो शुरुआत कुपवाड़ा में बस्ती बसा कर करो. अमेरिका के हटते ही अफ़ग़ानिस्तान में जब तालिबान का शासन आ रहा था तब वहां के मुसलमान अमेरिकन प्लेन के टायरों से लटक कर क्यो देश छोड़कर भागना चाहते थे ये सोचिए ? अपने परिवार को तालिबान के नियम के हिसाब से तीन महीना रख कर, अपनी बहनों बेटियो से पूछकर देखो की क्या वे ये जीवन वो जी पाएंगी ?
सब कुछ पैसा और पद ही नही होता अपनी संतानों के लिए एक सुरक्षित भविष्य छोड़कर जाना भी मातापिता का अनिवार्य कर्तव्य है, उसके लिए बोलने, लिखने, चर्चा करने का साहस तो दिखाना ही पड़ेगा ।
हिंदू धर्म का महामंडलेश्वर होने के नाते मेरे मन मे किसी भी हिंदू के लिए कोई कड़वाहट नही है । आप सभी सज्जन सन्नारिया परिवार सहित धर्म, यश, शौर्य, धन, कीर्ति से फुले फले
।। मा जगदम्बा और महादेव आपको सद्बुद्धि, विवेक और साहस दे ।।