श्वेताभ पाठक ( श्वेत प्रेम रस )प्रश्न: नवरात्रि में घट या कलश स्थापना क्यों करते हैं , इसमें जल क्यों रखते हैं , जौ क्यों बोया जाता है , नारियल क्यों रखा और फोड़ा जाता है , फिर हवन क्यों किया जाता है आदि आदि?
उत्तर: आदरणीय श्री श्वेताभ पाठक भैया जी—
नवरात्र का अर्थ :-
देखिये दो मुख्य ऋतुयें होती हैं ।
शरद और ग्रीष्म
इन्हीं से अन्य ऋतुयें बनती हैं या उनका उद्गम होता है ।
इन ऋतुओं में मनुष्य शक्ति की आराधना करता है ।
अपने शरीर के नौ दुर्गों को रक्षित और शक्तिशाली बनाने हेतु शक्ति या दुर्गा की आराधना की जाती है ।
चैत्रीय नवरात्र में शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना का आरंभ किया था ।।
इसी हेतु उसके प्रतीक को दर्शाने हेतु और ब्रह्मांडीय ऊर्जा एवं शक्ति को ग्रहण करने हेतु हम शक्ति की आराधना करते हैं ।
यही घट स्थापना या कलश स्थापना करके उस प्रकृति के उस तत्व को हम आत्मसात करते हैं ।।
अब ये घट स्थापना या कलश स्थापना क्या है ???.
ये कलश प्रतीक है समस्त ब्रह्मांड का ।
ये कलश स्वर्ण कलश होता था पहले ।
कलश प्रतीक ब्रह्मांड का ।
स्वर्ण कलश प्रतीक है हिरण्य का ।
ये हिरण्य क्या है ??
सृष्टि के निर्माण में जो महत्तत्व के कारण पंचमहाभूत बनते हैं उन्हें हिरण्य कहा जाता है ।
यह स्वर्ण के समान पीला होता है और इसी से सृष्टि की उत्पत्ति होती है ।
आप लोगों ने हिरण्याक्ष का नाम सुना होगा जिसने पृथ्वी को डूबा दिया था ।
यह वही हिरण्य शक्ति है ।
इसी हिरण्य शक्ति से हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप का जन्म हुआ था ।
ऐसे समझिये जैसे हमारे शरीर में cells होते हैं न , और कुछ cells शरीर के ही ग़लत तरीके से grow करना शुरू कर देते हैं abnormal cells तो ये Cancer कारक हो जाते हैं ।
तो इन कैंसरकारक cells को नष्ट करने हेतु chemotherapy होती है ।।
तो ये वही ब्रह्मांड का हिरण्य को स्तम्भित करने वाली आसुरी शक्ति का नाम हिरण्याक्ष था ।
अब आगे ….
तो ये कलश स्वर्ण कलश ब्रह्मांड का प्रतीक है ।
अब कलश में जल क्यों भरते हैं ??
कलश में जल उस जल का प्रतीक है जो समस्त सृष्टि में विद्यमान है ।
ये हमारा पीने वाला द्रव वाला जल नहीं है ।
ये प्रतीक है उस जल का जिसमें जन्म होता है और जिसमें लय होता है ।
जल – ज ( जन्म ) + ल ( लय )
आप इसे समझिये कारणार्णव अर्थात ब्रह्म द्रव ।
ये उसका प्रतीक है ।
अब नारियल किसका प्रतीक है ??
नारियल प्रतीक है हम जीवों का । हमारा प्रतीक है ।
हमारे बुद्धि का , जीव का प्रतीक है जो इस ब्रह्मांड में है ।
पहले वेदों के अर्थ का अनर्थ हो गया था तो वेदों में मानव बलि , जीव बलि , पशु बलि यज्ञों का एक भाग बन गया था ।
जिसके कारण भगवान महावीर और भगवान बुद्ध आये और वेदों को नकारा और बहुत धिक्कारा बलि प्रथा को वेदों में ।
फिर भगवान शंकराचार्य आये और फिर से उन्होंने वेदों का नवीनीकरण किया भाष्य लिखकर ।
तो उन्होंने इस प्रथा को हताने के लिए नारियल को जीव का प्रतीक बनाया ।।
इसी हेतु नारियल को मन बुद्धि और उसके अंदर पानी को भाव के समकक्ष रखा ।
इसी कारण हम हर शुभ कार्य में आज भी नारियल फोड़ने की प्रथा का पालन करते हैं ।
लेकिन यहाँ नारियल को हमने मन बुद्धि चित्त अहंकार का द्योतक मानकर रखा है ।
इसी नारियल में हम शक्ति का आह्वाहन करते हैं ।
समस्त ब्रह्मांड की शक्ति हमारे अंदर प्रविष्ट हो जाये ।
अब जौ उगाने का क्या रहस्य है ???
जौ केवल चैत्र नवरात्र में उगाया जाता है ।
लेकिन अब लोग देखा देखी शारदीय नवरात्र में भी उगाने लगे हैं ।
जौ ही पहला बीज था जो ब्रह्मा जी ने पृथ्वी पर उगाया था ।
इसी हेतु इसको प्रतीक मानते हुए जौ को उगाया जाता है ।
दीपक का क्या प्रतीक है ??
यह आत्मा और ज्ञान का प्रतीक है ।
भगवद्ज्ञान ।
abcd , cricket, motor ठीक करने वाला , पीपनी बजाने वाला ज्ञान नहीं ।
भगवद्ज्ञान ।
Shwetabh Pathak Bhaiya
Shwet Prem Ras