कश्मीर में भाजपा द्वारा महबूबा सरकार से समर्थन वापस लेते ही, एंटी इंडिया लॉबी सक्रिय हो गयी है। तरह-तरह की अफवाहें फैलाने का खेल शुरु हो चुका है। बॉर्डर पर पाकिस्तान सक्रिय है और भारत के अंदर पाकिस्तान समर्थक, पत्रकार, लेखक, कलाकार व एक्टिविस्ट। मानवाधिकार के नाम पर अलगाववाद और आतंकवाद का समर्थन करने वाले इन एक्टिविस्टों के प्रति भारत सरकार पहले ही संयुक्त राष्ट्र संघ में कह चुकी है कि इनकी गलत रिपोर्टिंग को आधार बनाकर कश्मीर की संप्रभुता पर हमला नहीं किया जा सकता है!
Given a chance, Kashmiris today will vote for independence: Cong veteran and ex minister Saifuddin Soz echoes Gen Musharraf
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) June 21, 2018
इंडिया स्पीक्स के हाथ एक ऐसा दस्तावेज लगा है, जिसमें उन पत्रकारों, बुद्धिजीवियों, एक्टिविस्टों, एनजीओकर्मियों का नाम है, जिसे लेकर सरकार को आशंका है कि ये लोग अपनी रिपोर्ट, लेख, भाषण, ट्वीट, पोस्ट, कार्यप्रणाली आदि के जरिए चाहे-अनचाहे कश्मीर में पाकिस्तान के मददगार बने हुए हैं? वह सूची इस खबर के आखिर में है।
Government plans Operation All Out in J&K. Hope more 14 year old girls (like young Insha who dreamed of becoming a doctor) won’t be blinded by Indian security forces’ pellet guns, in the crossfire. ?
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) June 20, 2018
कुछ वामपंथी अंग्रेजी-दां पत्रकारों के ट्वीट उदाहरणस्वरूप देखिए। इनका दिल हमेश पाकिस्तान के लिए धड़कता रहा है। महबूबा सरकार के गिरते ही यह लॉबी देश भर में अफवाह फैलाने और सेना की आलोचना में जुट गयी है।
Whispers abound in Kashmir about a split in the PDP in a few months and a reunion of one faction with the BJP. Two names doing the rounds for possible CM. Personally think anything cobbled and built like that – while legitimate politics elsewhere- very bad for a Wounded Valley
— barkha dutt (@BDUTT) June 21, 2018
सरकार ने ऐहियात बरतते हुए अलगाववादी यासीन मलिक, हिलाल वार और मीरवाईज जैसे प्रो-पाकिस्तानियों हुर्रियत नेताओं नजरबंद कर दिया है ताकि इनके बयान के नाम पर तथाकथित बुद्धिजीवी घाटी में उपद्रव न भड़का सकें। यही नहीं, सरकार ने अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए एनएसजी की बहाली भी कर दी है। प्रो-पाकी पत्रकार पहले से ही सेना के ऐसे हर कदम के लिए ‘मस्क्यूलर पॉलिसी’ जैसे घटिया शब्दों का उपयोग कर घाटी के लोगों को भड़काने, अपने विदेशी आकाओं को खुश करने और भारत सरकार-सेना को डिफेंसिव बनाने के धंधे में लग चुके हैं!
Any “muscular” policy in J&K by the Modi government will be suicidal says @YashwantSinha on @IndiaToday. The only option is wide ranging talks with all stakeholders
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) June 20, 2018
सरकार को आशंका है कि यह प्रो-पाकिस्तानी लॉबी, अपने लेखन, भाषण और कार्यक्रमों से आम चुनाव 2019 से पहले देश का माहौल खराब कर सकती है। इसलिए खुफिया एजेंसियों को ऐसे लोगों के लेखन, भाषण और एक्टिविटी पर नजदीक से नजर रखने को कहा गया है ताकि स्थिति का आकलन किया जा सके।
Every senior army/intelligence officer I have spoken to in last 24 hours tells me not once have their hands been tied when it comes to J and K since 1991; every govt has given a free hand to the forces to 'eliminate' terrorists. So what really is Op 'All Out' 2.0 but optics?
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) June 20, 2018
दरअसल जिस तरह से कश्मीर में मानवाधिकार के हनन और राणा अयूब नामक एक मुसलिम पत्रकार की सुरक्षा को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के उच्चायुक्त जैद ने पाकिस्तान के आईएसआईएस लॉबिस्टों के दबाव में काम किया और जिस तरह से अरुंधति राय ने अंतरराष्ट्रीय मंच से कश्मीर, भारत और यहां की स्थिति को लेकर झूठ बोला, उसे लेकर सरकार सचेत है और हर स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
It is the job of politicians, Congress, BJP to dismiss the @UNHumanRights report on Kashmir. Why are we journalists who are supposed to ask the questions dismissing it ? https://t.co/AsQcsBLVJJ
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) June 15, 2018
Kashmir owes Rs. 65,000 crore to centre plus interest. So, for a population of 1.25 crore, every head/state subject owes New Delhi Rs. 50,000 as on Jan 2018
BJP ne pehle PDP ko vikaas se sapne dikhaye, schemes banvayi, ab dumm daba ke bhaag gaye#BJPDumpsPDP #BJPPDPAllianceover https://t.co/sLnYxSTGYf
— Shehla Rashid (@Shehla_Rashid) June 19, 2018
After seeing Kashmir political situation reach its 15 year low, BJP is washing it's hands off by withdrawing from J&K govt. BJP can't absolve itself of its share of responsibility. Is this BJP's commitment to democracy in J&k?
— M K Venu (@mkvenu1) June 19, 2018
सरकार के प्रतिनिधि ऐसे लोगों को बुलाकर वस्तुस्थिति से अवगत कराने से लेकर उन्हें समझाने तक की कोशिश भी कर सकते हैं! घाटी में ‘राइजिंग कश्मीर’ के संपादक सुजात बुखारी की आतंकियों द्वारा हत्या जैसी स्थिति देश में कहीं उत्पन्न न हो, इसके लिए बुद्धिजीवियों की सुरक्षा की भी सरकार को चिंता है।
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#TalkPoint: If BJP doubles muscular policy in pursuit of 2019 – it could mean hell for Kashmir@RahibaParveen writes:
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) June 19, 2018
इतना ही नहीं, बड़ी संख्या में भारतीय पत्रकार विदेशी अखबारों में भी लेख लिखकर देश और सरकार को को बदनाम करने में जुटे हुए हैं, ऐसे लोगों के झूठ को काटने की तैयारी भी सरकार की ओर से किया जा रहा है।
How Mehbooba Was Caught Off Guard By BJP Decision to Quit Kashmir Alliance https://t.co/RvPc3YJmsw via @thewire_in
— Siddharth (@svaradarajan) June 20, 2018
यही नहीं, जिस तरह से देश के विश्विद्यालयों के छात्रों और मुसलिम समुदाय के युवकों को कश्मीर के नाम पर बर्गला कर आतंकवादी और पत्थरबाज बनाया जा रहा है, इससे भी सरकार चिंतित है। सरकार कश्मीर को लेकर किसी भी तरह का समझौत नहीं करना चाहती है। इसलिए सरकार की कोशिश है कि प्रो-पाकिस्तानी लॉबी पर नजर रखी जाए। एनजीओ की विदेशी फंडिंग पर तो स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने सुरक्षा एजेंसियों को स्पेशल रूप से नजर रखने को कहा है। उन पत्रकारों और लेखकों पर भी नजर रखने को कहा गया है, जो फेक न्यूज फैलाकर समाज में विद्वेष पैदा करते हैं, भारत सरकार को बदनाम करते हैं और पाकिस्तान के पक्ष में एक तरह से माहौल बनाने का काम करते हैं।
पिछले तीन सालों में विभाजन बढ़ा, धार्मिक मतभेद और राष्ट्रवादी राजनीति बड़ा ख़तरा: सर्वे https://t.co/XcaeNkYAPE #Communalism #Nationalism #NationalistPolitics #Religion #India #Youth #भारत #सांप्रदायिकता #धर्म #राजनीति #राष्ट्रवाद #युवा
— द वायर हिंदी (@thewirehindi) June 21, 2018
बेहद गोपनीय सूत्रों से मिली एक सूची में उन तमाम पत्रकारों, लेखकों, प्रोफेसरों, और एक्टिविस्टों के नाम हैं, जो किसी न किसी रूप से कश्मीर मामले में भारत, भारतीय एजेंसियों और सेना की कार्रवाई को प्रभावित करने की जब-तब कोशिश करते रहे हैं। इससे पाकिस्तान, उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा पोषित कश्मीरी अलगाववादियों और आतंकिया को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फायदा मिल जाता है।

इंडिया स्पीक्स डेली अपुष्ट सूत्रों से मिली इस सूची के प्रति किसी भी प्रकार की सत्यता का दावा पेश नहीं करता है। लेकिन हम देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी समझ रहे हैं। हम इसे केवल इसलिए जारी कर रहे हैं ताकि देश की आम जनता भी इन लोगों के कृत्यों, लेखन, एंकरिंग, ट्वीट, पोस्ट, भाषण आदि पर नजर रखे और इनके द्वारा प्रसारित-प्रचारित किसी भी खबर, सूचना, ट्वीट या वक्तव्य पर भरोसा करने से पूर्व हर प्रकार से उसकी सत्यता की जांच करें। किसी के बहकावे में न आएं। मुख्यधारा की मीडिया या पत्रकार होने का मतलब यह नहीं है कि वह हर खबर सही ही देते हैं? सबका अपना दृष्टिकोण है। आप अपने दृष्किोण को किसी से प्रभावित न होने दें। बिना सत्यता की जांच किए, कोई खबर, सूचना, लेख या ट्वीट-पोस्ट को आगे न बढ़ाएं!
हमारा इरादा किसी की मानहानि करना नहीं, केवल जनता को सचेत करना है। जिनको लगता है कि उनकी मानहानि की गई है, वह उसी तरह हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करें, जैसा कि हम उनकी एंटी इंडियन और प्रो-पाकी अभिव्यक्ति को बर्दाश्त करते हैं! धन्यवाद!
URL: Whispers abound in Kashmir about journalists and intellectuals
Keywords: kashmir issue, Paid journalist, presstitutes, media exposed by isd,