प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और हिंदुओं से बेइंतहां नफरत करने वाली मुसलिम पत्रकार राणा अयूब को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट करने वालों में कहीं पाकिस्तान तो नहीं है? सामने आए कुछ ऐसे प्रमाण यह बताते हैं कि राणा अयूब की अंतराष्ट्रीय ब्रांडिंग के पीछे पाकिस्तान ही है! जिस राणा अयूब के लिए संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार उच्चायुक्त जेन बिन राद अल-हुसैन ने भारत की मोदी सरकार को सुरक्षा उपलब्ध कराने को कहा था, उसका संबंध पाकिस्तान के आईएसआई लॉबिस्ट से उजागर हुआ है!
यही तो आश्चर्य था कि भारत के एक मामूली पत्रकार में आखिर संयुक्त राष्ट्र संघ का मानवाधिकार उच्चायुक्त क्यों दिलचस्पी ले रहा था? लेकिन जब आप पाते हैं कि खुद को हाईप्रोफाइल मुसलिम पत्रकार के रूप में ब्रांड करने वाली राणा अयूब भारत और उसमें भी मोदी सरकार व हिंदुओं की विरोधी हो तो फिर वह पाकिस्तानियों के लिए प्रोपोगंडा वार में काम आने वाली बड़े काम की चीज तो निकलेगी ही?
मानवाधिकार उच्चायुक्त जेन बिन राद अल-हुसैन का पाकिस्तानी लॉबिस्टों के साथ उस वक्त की तस्वीर रिपब्लिक टीवी ने उजागर किया है, जब वह कश्मीर पर भारत के खिलाफ रिपोर्ट सौंपने जा रहे थे! गौरतलब है कि मुसलिम पत्रकार राणा अयूब ने एक फेक फैक्ट वाली ‘गुजरात फाइल्स’ नामक किताब लिखी है। उसने खुद अदालत बनते हुए इस किताब में प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को बिना सबूत हत्या कराने, दंगा भड़काने और एनकाउंटर में अभियुक्त बना दिया है, इसलिए वह भारत विरोधी पाकिस्तान के आंखों का तारा बनी हुई है। इस तथ्यहीन किताब की ब्रांडिंग के लिए उसने खुद पर जानलेवा हमला होने, उसका ब्लू फिल्म बनाने जैसे न जाने कितनी ही घटिया और मनगढंत आरोप मोदी सरकार और हिंदुओं पर मढ़ दिया। इसका ईनाम पाकिस्तान हितैषी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त जेन बिन राद अल-हुसैन ने दिया और उसने राणा अयूब की सुरक्षा की मांग करते हुए मोदी सरकार पर हमला किया।

बकायदा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के ऑफिशियल ट्वीटर हैंडल से राणा अयूब के पक्ष में ट्वीट भी किया गया। यही नहीं, उसी वक्त जेन बिन राद अल-हुैसन ने 49 पेज की एक रिपोर्ट भारत सरकर के खिलाफ दी, जिसमें भारत सरकार को कश्मीर में मानवाधिकार का उल्लंघन करने वाला बताया। भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र संघ में इस रिपोर्ट को पूर्वग्रह प्रेरित बताते हुए न केवल पूरी तरह से खारिज कर दिया, बल्कि अल-हुसैन को बुरी तरह से एक्सपोज भी कर दिया है।
अब पता चल रहा है कि जेन बिन राद अल-हुसैन का संबंध पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और कश्मीरी अलगाववादियों से है। तो क्या राणा अयूब के लिए लॉबिंग आईएसआई और कमश्मीरी अलगाववादी कर रहे हैं? राणा अयूब की अब तक की रिपोर्टिंग तो यही दर्शाती है कि वह कश्मीरी अलगाववादियों और भारत के टुकड़े गैंग के पक्ष में हमेशा से रही है। यानी वह साफ-साफ पाकिस्तान की पीआर है! ऐसी ही एक पीआर बरखा दत्त भी रही है, जिसने आतंकवादी बुरहान वानी को गरीब स्कूल मास्टर का बेटा बताया था, जिसके बाद पाकिस्तानी आतंकी हाफिज सईद ने बरखा दत्त और कांग्रेस पार्टी के पक्ष में बयान भी दिया था।
Have you ever been viciously attacked online? Do such attacks violate human rights? UN experts support Indian journalist @RanaAyyub. Watch her story on Instagram: https://t.co/pPhxxWO7cg #StandUp4HumanRights pic.twitter.com/afvGd9KJIm
— UN Human Rights (@UNHumanRights) June 4, 2018
रिपब्लिक टीवी के अनुसार, इस तस्वीर में पाकिस्तान के हुरियत कान्फ्रेंस के नेता फैज़ नक्शबंदी , सरदार अमजद यूसुफ, अल्ताफ हुसैन और गुलाम हसन नजर आ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार संयुक्त राष्ट्र मानवधिकार प्रमुख के साथ दिख रहे ये सभी लोग जिनेवा के यूएसएचआरसी में पाकिस्तान की आईएसआई और उनके लॉबी समूहों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है पाकिस्तान की आईएसआई कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के लिए दृढ़तापूर्वक से लॉबिंग कर रही है ताकि भारत की छवि खराब हो सके।

सूत्रों के अनुसार राणा अयूब के पक्ष में रिपोर्ट भी पाकिस्तान के कहने पर ही दी गई थी। आम चुनाव-2019 को देखते हुए पाकिस्तान भारत के अंदर कुछ मोदी और हिंदू विरोधी ताकतों की अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग में लगा है, उसी में से एक राणा अयूब भी है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ में विरोध दर्शाते हुए साफ-साफ कहा है कि कुछ पूर्वग्रह प्रेरित मीडिया रिपोर्ट को आधार बनाकर कश्मीर में भारत को बदनाम किया जा रहा है। भारत ने दृढ़ता से कहा की यह रिपोर्ट एकतरफा सूचनाओं के आधार पर प्रकाशित की गई है जिसमें आतंकवाद को सही ठहराया गया है। उन्हों ने जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और पाकिस्तान हमारे राज्य के एक हिस्से को जबरन कब्जा रखा है। भारत ने इसका कराराब जबाव दिया। वहीं भारत ने इस रिपोर्ट को भ्रमित करनेवाला और पक्षपातपूर्ण करार दिया है। विदेश मंत्रालय की तरफ से रिपोर्ट का वरोध किया गया।
आप समझ जाइए कि आईएसआई के पे-रोल पर भारत में बैठे पत्रकारों का इस्तेमाल ऐसे ही प्रोपोगंडा को खड़ा करने के लिए पाकिस्तान लगातार कर रहा है। आईएसआई एजेंट गुलाम नबी फई की फंडिंग से भी भारत के बड़े-बड़े पत्रकारों की विदेश यात्रा का काला चिट्ठा पूर्व में खुल चुका है।
Just the opposite, dictatorships actually love the UN Human Rights Council.
UN Human Rights Council Condemnations, 2006-2016:
?? Israel – 68
?? China – 0
?? Iraq – 0
?? Pakistan – 0
?? Russia – 0
?? Somalia – 0
?? Turkey – 0
?? Venezuela – 0 https://t.co/R67LphkYwK
— The Reagan Battalion (@ReaganBattalion) June 19, 2018
संयुक्त राष्ट्र संघ का मानवाधिकार उच्चायुक्त अल-हुैसन एक अरबी मुसलमान है, जो मुसलमानी भाईचारा दिखाते हुए अमेरिका, इजराल और भारत के खिलाफ जहर उगलता रहा है। यही कारण है कि अमेरिका की ट्रंप सरकार ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग से निकलने का निर्णय कर सबको चौंका दिया है। आपको जानकर और भी ताज्जुब होगा कि अल-हुसैन ने आज तक पाकिस्तान, सीरिया जैसे इस्लामी चरमपंथ वाले देश में एक भी मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं पाया है! यह साबित करता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ का मानवाधिकार आयोग केवल आतंकवादियों, अलगाववादियों, इस्लामी चरमपंथियों और प्रापोगंडावादियों के लिए काम करता है। साफ-साफ है कि मुसलिम भाईचारा निभाते हुए उच्चायुक्त अल-हुसैन ने पाकिस्तानी लॉबिस्टों के साथ मिलकर कश्मीर और राणा अयूब के लिए लॉबिंग की। भारत सरकार ने ऐसे रिपोर्ट को कूड़ेदान में डाल कर ठीक ही किया है। राणा अयूब भारत, मोदी सरकार और हिंदुओं के खिलाफ और चिल्लाओ! पाकिस्तान ऐसे चिल्लाने पर ही ईनाम की बरसा करता है!
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प्रधानमंत्री मोदी से नफरत करने वाली हाईप्रोफाइल मुसलिम पत्रकार राणा अयूब की हाईप्रोफाइल कहानी-1
URL: UNHC labbing for rana ayyub and kashmir For Human Rights Seen With ISI aides
Keywords: UNHC labbing for rana ayyub, journalist Rana Ayyub, Muslim journalist, Rana Ayyub: A high-profile Muslim journalist, संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि भारत सरकार पत्रकार राणा अय्यूब की सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम करे, राणा अय्यूब