Harishankar Shahi आरएसएस एक डरपोक और कायर सगंठन तो है ही, लेकिन पहले नेहरू और फिर बाद में जनता पार्टी और फिर अहीर जाति के नेता मुलायम आदि के द्वारा लिए गए एक्शनों के कारण इसे हिंदूवादी माना जाने लगा.
जबकि इसके कर्म कभी ऐसे नहीं थे. सबसे सेलिब्रेट किए जाने वाले संघी अटल बिहारी बाजपेई ही थे ना जिन्होंने भारतीय सैनिकों को मरवाना पसंद किया लेकिन एलओसी पार नहीं करने दिया. और वायु सेना का उपयोग नहीं होने दिया.

बाद में उसी परवेज मुशर्रफ को बिरयानी और कवाब खिलवाए. तो आरएसएस कभी भी हिंदूवादी और मुस्लिम विरोधी या पाकिस्तान विरोधी नहीं रहा. अब ऐसा संघ जो एलओसी पार ना करने पर अड़ा रहे. वह पाकिस्तान पर हमला करेगा?
यह सोचना भी पागलपन है. उसे बस कैसे भी सेटिंग करनी है. और वैसे संयोग सदा संघ के हाथ रहा क्योंकि गोधरा के बाद जनता का रिएक्शन हुआ और फायदा मिला मोदी को. वैसे यह फायदा अपने आप मिल गया.
क्योंकि मोदी के उभार में बड़ा हाथ इंटरनेट सोशल मीडिया का था. जो नया-नया भारत में आया था आर्कुट के पेज से लेकर फेसबुक की बहस बढ़ने लगी. और इसी बीच टाइम्स ऑफ इंडिया को विज्ञापन नहीं मिला तो उसने कॉमनवेल्थ उछाल दिया.

और 2011 में मनमोहन सरकार द्वारा एनजीओ एफसीआरए बंद करने से चिढ़े एनजीओ वालों और उनके मीडया नेक्सस ने ऐसा माहौल बनाया कि बिना कुछ किए धरे बीजेपी को सत्ता मिलती चली गई. उसके बाद से एक भी एंटी-इस्लामिक कुछ हुआ हो तो बताएँ?
-सर्वाधिक तृप्तीकरण यानी मुसलमानों को सुविधा और अधिकार मोदी सरकार में मिला.
-पाकिस्तान में नवाज शरीफ के घर मोदी उतरे.
-पाकिस्तान ने व्यापार बंद किया, भारत ने आज तक कोई व्यापारिक प्रतिबंध पाकिस्तान पर नहीं लगाया.
-हम जो आज पाकिस्तानियों को भागते देख रहे हैं यह मोदी सरकार 11 साल होने के बाद भी भारत में कैसे हैं?
पहलगाम हमले के बाद भी आप देखेंगे कि आरएसएस तुरंत एक्टिवेट हुआ और इसे पर्यटकों पर हमला बताया और कैसे भी करके इस्लाम से फोकस हटाने पर लग गया. शेहला राशिद को एक्टिवेट किया गया. उसने कैंडल मार्च निकलवाया.

नहीं तो यही शेहला राशीद थी जिस पर देशद्रोह का केस दर्ज हुआ था जिसे आरएसएस ने ही हटवा दिया. आरएसएस का पूरा नेटवर्क भारत के मुसलमान और कश्मीर को देशभक्त बताने में लगा रहा और सब पाकिस्तान पर डाल दिया गया.
अब पाकिस्तान ने पलटवार करना शुरु कर दिया. चीन से लेकर अमेरिका तक सब के सब जाँच की बात करने लगे अब जहाँ चीन के डर के मारे जयशंकर आसियान की बैठक में पाक चले जाएँ. उनकी विदेश नीति कहाँ टिकती.
एक भी देश सीधे भारत के पक्ष में नहीं था. चीन के विदेश मंत्री का सीधा बयान भारत के विरुद्ध था. लेकिन भारत के विदेश मंत्री चीन के विरुद्ध कुछ नहीं बोल पाए. जबकि यहाँ फेंका जाता है कि जयशंकर बहुत ही मारक मंत्री हैं.
बाद में कभी अगर जाँच होगी तो रशिया में हुए तेल के खेल में जय शाह और शौर्य डोभाल व आरएसएस के कई लोगों को फंसना ही है. लेकिन जैसे वढ़ेरा और राहुल गांधी सेफ हैं वैसे वे लोग भी सुरक्षित रहेंगे आरएसएस ने इतना सौदा तो कर लिया है.
मुसलमान देश कतर के डर मारे यह हाल है कि आरएसएस किसी भी इस्लामिक संगठन पर पाबंदी नहीं लगा पा रहा है. क्योंकि कतर और अरब के जरिए उसके नेटवर्क जुड़े हैं. घनश्याम पांडे के मंदिर का प्रचार हो रहा है क्योंकि उसके पास अरब का हवाला नेटवर्क है.
अब आरएसएस ने पाकिस्तान के चक्कर में देश को फंसा दिया है. तो जाति जनगणना कराने का आइडिया मोहन भागवत ने निकाला ताकि कैसे भी फोकस चेंज हो. क्योंकि चीन को नजरअंदाज कर पाना मोदी सरकार के लिए असंभव है.
बाकी आरएसएस को पता है कि ब्राह्मण समाज और मीडिया तुरंत रिएक्शन करेगा. और नैरेटिव बदल जाएगा. कांग्रेस और अहीर जाति की पार्टियाँ भी देश समाज भूलकर इस पर उतर पड़ेंगी. वैसे भी इनसे आरएसएस की साठ-गांठ तो है ही.
आरएसएस ने हिंदू धर्म को नष्ट करने के लिए दादा रावण के अनन्य भक्त धीरेंद्र रावण, अकबर के भक्त अनिरुद्ध पांडे उर्फ प्रेमानंद, और घनश्याम पांडे उर्फ स्वामीनारायण को सेट कर ही दिया है. देश पर जाट जाति का हमला करवा ही दिया है.
आरएसएस तो भारत में हर किसी को मुसलमान बनाने के लिए तैयार है लेकिन लोग नहीं बनेंगे. वर्ना उसका सपना तो इंडोनेशिया बनाने का है. उसे हिंदू से नहीं बल्कि जातिय सर्वोच्चता बनी रहे और वही सबका गुरु बनना चाहता है.
अब आरएसएस का दूसरा एजेंडा है भारत को कई देशों बांटा जाए जिससे उसकी पकड़ कई देशों में रहे. और जिससे वह एक बड़ी प्राप्त कर सके. इसके लिए इस्लाम उसका बड़ा सहयोगी बन सकता है. देखते हैं आरएसएस अब देश को और कैसे बर्बाद करता है.
साभार फेसबुक वॉल से