“संयुक्त-राष्ट्रसंघ” में जाना होगा
मूलाधिकार नहीं हिंदू का , जीने का अधिकार नहीं है ;
धर्म पूछकर मारा जाता , कोई मानवाधिकार नहीं है ।
“संयुक्त-राष्ट्रसंघ” में जाना होगा, शायद कुछ उपचार मिले ;
भारत में तो बिन मांगे ही , हिंदू ! तुझको मौत मिले ।
हिंदू के सबसे – बड़े शत्रु हैं , चरित्रहीनता – भ्रष्टाचार ;
अब्बासी-हिंदू भारत का नेता , इन दोनों का है सरदार ।
धर्महीन – अज्ञानी हिंदू , अब महामूर्ख बनता जाता ;
जुमलेबाजी व लफ्फाजी में , लगातार फंसता जाता ।
बात – बात पर नौटंकी है , देश की रक्षा में नाटक ;
दुश्मन को ये ही दावत देता, खोल रहा है किले का फाटक ।
कश्मीर – मनीपुर सौंप चुका है, केरल – बंगाल भी जायेगा ;
पूर्वोत्तर – भारत टूट रहा है , शेष भी न बच पायेगा ।
देशभक्ति की नहीं भावना , मचलती रहती कामवासना ;
अग्निवीर से सेना जर्जर , कैसे होगा दुश्मन से सामना ?
मीटिंग करता फोटो खिंचवाता, और नहीं है काम दूसरा ;
जब महामूर्ख हिंदू ! न समझे, तो क्यों समझेगा कोई तीसरा ?
तुझको ही देश बचाना होगा , औरों का मुॅंह तुम क्यों देखो ?
अलग-थलग पड़ चुका हो हिंदू ! अपनी रक्षा करना सीखो ।
हिंदू ! तुझे बचाने वाला , कोई नहीं है भारत में ;
कानून का शासन नहीं देश में , जंगल-राज है भारत में ।
अपनी रक्षा खुद करनी है , वरना पूरी तरह मिटोगे ;
भविष्य-मालिका भविष्य का दर्पण , इसको तुम कब देखोगे ?
स्पष्ट रूप से लिखा है सब-कुछ, हिंदू ! सावधान हो जाओ ;
होने वाला नरसंहार भयानक , सौ-करोड़ तक मिट जाओ ।
संशयात्मा बन चुका है हिंदू ! लगातार धोखा खाया ;
अपनों ने ही दिया है धोखा , फिर भी इसे समझ न आया ।
माना अच्छे नहीं हैं नेता , पर इनसे ही काम चलाना है ;
इनको सदा हराते रहना , सरकार बदलते रहना है ।
पूर्ण बहुमत न मिले तो अच्छा,इनको औकात में रखना है ;
मिली-जुली सरकार बनाओ , तो लोकतंत्र को बचना है ।
पूर्ण – बहुमत वाली सरकारें , पूर्ण – निरंकुश होती हैं ;
कोई नहीं रोकने वाला , भ्रष्टाचारी होती हैं ।
जब तक अच्छे-नेता न आयें , किसी को बहुमत मत देना ;
बीच में भी सरकारें पलटो , भ्रष्टाचार न होने देना ।
धर्म – मार्ग में हिंदू ! आकर , अपनी – बुद्धि शुद्ध करो ;
अंतिम – सांसें धर्म भर रहा , अपरिहार्य उपचार करो ।