श्वेता पुरोहित। उच्चैःश्रवा, विनता, कद्रू, नाग और गरुड़ की कथा हिंदू पौराणिक कथाओं, विशेष रूप से महाभारत से ली गई है। यह कथा भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ और नागों के बीच संबंध, दासअत्व और मातृभक्ति जैसे विषयों को दर्शाती है।
उच्चैःश्रवा समुद्र मंथन से निकला सात सिर वाला एक दिव्य अश्व था, जिसे देवराज इंद्र ने अपने लिए रख लिया। इसकी सुंदरता और श्वेत रंग के कारण ही विनता और कद्रू का विवाद शुरू हुआ था।
विनता और कद्रू, दोनों ऋषि कश्यप की पत्नियाँ थीं। कद्रू ने एक हज़ार नागों (सर्पों) को जन्म दिया, जबकि विनता ने दो पुत्रों, अरुण (सूर्य के सारथी) और गरुड़ (विष्णु के वाहन) को जन्म दिया।
विनता और कद्रू का दांव:
एक बार विनता और कद्रू ने समुद्र के किनारे उच्चैःश्रवा को देखा, जो समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ था और पूर्णतः श्वेत था।
कद्रू ने कहा कि उच्चैःश्रवा की पूंछ काली है, जबकि विनता ने कहा कि वह पूरी तरह श्वेत है।
दोनों ने शर्त लगाई: हारने वाली विजेता की दासी बन जाएगी।
कद्रू की चाल:
कद्रू जानती थी कि वह गलत है, इसलिए उसने अपने पुत्रों (नागों) को उच्चैःश्रवा की पूंछ पर लिपटने का आदेश दिया ताकि वह काली दिखे।
कुछ नागों ने नैतिकता के कारण मना कर दिया, और कद्रू ने उन्हें श्राप दिया कि वे जनमेजय के सर्प यज्ञ में भस्म हो जाएँगे।
बाकी नागों ने डरकर अपनी माँ की बात मानी और पूंछ को काला कर दिया।
विनता की दासता:
जब दोनों ने उच्चैःश्रवा को देखा, तो उसकी पूंछ काली दिखी। इस कारण विनता हार गई और कद्रू की दासी बन गई।
विनता को अपमान और दुख सहना पड़ा, और गरुड़, जो उस समय अंडे में थे, ने अपनी माँ की पीड़ा को महसूस किया।
गरुड़ का जन्म और प्रतिशोध:
समय आने पर गरुड़ अंडे से बाहर निकले। वे विशाल, तेजस्वी और शक्तिशाली थे।
गरुड़ ने अपनी माँ की दासता का कारण जानकर कद्रू से पूछा कि विनता को मुक्त करने की शर्त क्या है।
कद्रू ने कहा कि अगर गरुड़ अमृत (देवताओं का अमरता का पेय) ला दे, तो विनता को मुक्त कर दिया जाएगा।
गरुड़ का अमृत अभियान:
गरुड़ ने स्वर्ग पर आक्रमण किया और देवताओं, यक्षों, और गंधर्वों को परास्त कर अमृत कलश प्राप्त किया।
इस दौरान भगवान विष्णु ने गरुड़ की शक्ति और भक्ति से प्रभावित होकर उन्हें अपना वाहन बनाया, और इंद्र ने उन्हें मित्रता का वरदान दिया।
गरुड़ ने अमृत कद्रू को सौंपा, लेकिन चालाकी से सुनिश्चित किया कि नाग उसे पी न सकें। (इंद्र ने अमृत वापस ले लिया, और नागों ने केवल बूंदें चाटीं, जिससे उनकी जीभ कटी और वे दो-फल वाले सर्प बने।)
विनता की मुक्ति और गरुड़-नाग संबंध:
गरुड़ ने अपनी माँ विनता को मुक्त कराया।
हालांकि, कद्रू के श्राप और गरुड़ की मातृभक्ति के कारण नागों और गरुड़ के बीच शत्रुता बनी रही। गरुड़ नागों को अपना भोजन मानते थे, जो इस कथा का एक परिणाम है।
धर्म और छल: कद्रू की चाल और विनता की सच्चाई धर्म और अधर्म के संघर्ष को दर्शाती है।
स्वतंत्रता: विनता की मुक्ति स्वतंत्रता के लिए संघर्ष का प्रतीक है।
नाग और गरुड़ की शत्रुता: यह प्रकृति और शक्ति के बीच संतुलन को दर्शाता है।