संजय त्रिवेदी:- मान्यता अनुसार जब सिद्धार्थ ( गौतम बुद्ध) पैदा हुये, 8 ब्राह्मण विद्वान राजसभा मे आये। 7 ने बताया कि ये या तो चक्रवर्ती राजा बनेगें या बहुत बडे सन्यासी।
और एक कोनडान्ना (कौडिन्य) नामक ब्राह्मण घोषणा करता है कि ये बहुत बडे सन्यासी ही बनेगे और बुद्धत्व को प्राप्त करेंगे।
जातक कथा है कि गौतम बुद्ध से पहले सात ब्राह्मण बुद्ध हो चुके है। जिनके नाम है दीपांकर, मंगला, रेवता, अनोदस्सी, काकूसंध, कोणगमन और कश्यप।
जातक के अनुसार ही गौतम बुद्ध से अगले बुद्ध मैत्रेय नामक ब्राह्मण बनेंगे।
जातक के अनुसार ही गौतमबुद्ध की जन्मस्थली का नाम ब्राह्मण सामाख्य मुनि कपिल के नाप पर कपिलवस्तु था/ है।
बौद्ध ग्रंथो मे
अनन्त ब्राह्मण सुत्ता, अन्नत्र सुत्ता , कंकी सुत्ता, एसुकारी सुत्ता, जनुसोनी ब्राह्मण सुत्ता, गणकमोघल्लन सुत्ता, पच्चभुमिका सुत्ता, सलेय्यक सुत्ता आदि ब्राह्मणो को समर्पित है।
इसके अलावा धम्मपद जोकि गौतम बुद्ध को खुद की वाणी मानी जाती है, का एक पूरा अध्याय ब्राह्मणो की स्तुति को समर्पित है।
मज्जहिम निकाय मे बुद्ध ब्राह्मणो की पांच विशेषताये सत्य, तपस, ब्रह्मचर्य, अज्जहेना ( अध्ययन) और त्याग बताकर उन्हे प्रेज कर रहे है।
अस्सालयन सुत्ता मे गौतम बुद्ध लोगो की कर्म द्वारा सर्वश्रेष्ठ केटेगरी को ब्राह्मण बताते है।
नागसेन की मिलिन्दप्रश्न मे एक कहानी के अनुसार गौतम बुद्ध खुद को कर्मो से एक ब्राह्मण बताते है।
विनय पिटक के महावग्ग सेक्शन मे गौतम बुद्ध बताते है कि वेद दस ब्राह्मण ऋषियों द्वारा दिये गये थे शुद्ध थे, असली थे पर बाद के पुरोहितो ने इसमे बदलाव कर दिया है।
दस वैदिक ऋषियों के नाम जो बुद्ध ने बताये थे है अत्रि ( अत्तको), वामको, वामदेव, विश्वामित्र ( वस्समित्तो), जामदग्नि (यमतग्गी), अंगरसो, भारद्वाज, वशिष्ठ, कश्यप और भ्रगु है।
बुद्ध के सभी प्रमुख शिष्य ब्राह्मण है। सारी बुद्ध फिलोसफी के रचनाकार ब्राह्मण है। सभी बुद्ध ग्रंथो के लेखक ब्राह्मण है। बुद्धिजम के सभी प्रचारक ब्राह्मण है। बुद्धिज्म के लिये लोजिक और शास्त्रार्थ करने वाले ब्राह्मण है।
बुद्ध के पांच सबसे पहले शिष्य ब्राह्मण है।
जिनमे अश्वजीत ( अस्सजी) प्रमुख है इनके पिता बुद्ध के लिये घोषणा करने वारे 8 ब्राह्मणो मे एक थे।
अश्वजीत से सुनकर बुद्ध तक पहुचे और उनके प्रिय शिष्य बने सरिपुत्र जोकि अभिधंम फिलोसीफी के फान्डर है भी ब्राह्मण है।
मुद्गलयान ब्राह्मण है। ये दोनो बुद्ध के सबसे शुरूआती शिष्यो मे है।
बुद्धिजम की महायान फिलोसी का फाऊन्डर कश्यप है जोकि ब्राह्मण है।
बुद्धिजम की थेरवाद फिलोसिफी के प्रवर्तक नागार्जुन और अश्वघोष ब्राह्मण है।
वज्रयान बुद्धिजम के संस्थापक बुद्धघोष वो ब्राह्मण है।
तिब्बती बुद्धिजम के प्रवर्तक पदमसंम्भव वो ब्राह्मण है।
जेन बुद्धिजम का फाउन्डर बोधिधर्म वो भी ब्राह्मण है।
कुंग फू स्कूल का संस्थापक कुमारजीव वो भी ब्राह्मण है।
बोधिधर्म और कुमारजीव ये दोनो बुद्धिजम को चीन मे पहुचाने वाले माने जाते है।
आर्यदेव जोकि वास्तव मे श्रीलंका मे बुद्धिज्म को पहुचाने वाले है जिन्हे वहां बोधी देव के नाम से भी जाना जाता , वे भी ब्राह्मण थे।
नागसेन जिसका मिलिन्द पोह है जिसे ग्रीक राजा मिलिन्द को बुद्धिजम दीक्षित किया था माना जाता है वो ब्राह्मण है। इन्होने ही सबसे पहले बुद्धचरित्र लिखा है।
शान्तिदेव जिन्होने बोधीसत्व का तरीका बताया, वे भी ब्राह्मण है।
धर्मकीर्ति ( ये कुमारिल भट्ट जोकि भारत से बुद्धिज्म को खत्म करने के सबसे बडे कारण माने जाते है, के भतीजे थे) ने बुद्धिजम के लिये तर्कशास्त्र की रचना की।
बुद्धिजम मे वास्तव मे बुद्ध तो काल्पनिक पात्र है। बुद्ध भौतिक रूप मे कुछ है ही नही। ये तो बोध ( ज्ञान की एक अवस्था) है जिसके मानवीयकरण को केन्द्र मानकर सबकुछ ब्राह्मणो द्वारा रचा गया है। यहां तक कि धम्मचक्र और चार आर्य सत्य भी बुद्धिज्म मे ब्राह्मणो की ही देन है एसा विद्वानो द्वारा माना जाता है।
बुद्धिजम तो प्योर ब्राह्मण फिलोसिफी जोकि वेदो की सर्वोपरिता के अंतर को लेकर पैदा हुई।
भारत मे बुद्धिजम को बनाये रखने के लिये लडने वाले, शास्त्रार्थ करने वाले, उसके लिये फिलोसीफी रचने वाले भी ब्राह्मण थे और बुद्धिजम के खिलाफ भी तर्क रचने वाले, फिलोसीफी लिखने वाले, इसे आत्मसात करने वाले भी ब्राह्मण थे।
पर बुद्धि से अपंग लोग ब्राह्मणो से अलग करके बुद्धिज्म का अस्तित्व तलाश रहे है।
साभार: रामेश्वर मिश्र पंकज के फेसबुक वॉल से।