संदीप देव –
महाभारत और भगवान श्रीकृष्ण के जन्म परिस्थिति को दर्शाती भविष्य की दुनिया दिखाती है Kalki -2898 AD
रामानंद सागर की रामायण और बी.आर. चोपड़ा की महाभारत से ही पुरानी और आज की पीढ़ी रामायण और महाभारत को जानती है। पुराणों के बारे में तो आज की पीढ़ियों को अधिक पता भी नहीं है। कल्कि- 2898 एडी लोगों में भारत के पुराणों और पौराणिक कथाओं में दिलचस्पी जगाती है। यह बच्चों को अवश्य दिखाया जाना चाहिए, लेकिन उससे पहले उन्हें महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण, अर्जुन, कर्ण और अश्वत्थमा की कथा कहकर सिनेमा हाॅल में ले जाएं।
जिनको भी पुराणों और महाभारत का थोड़ा भी ज्ञान है उन्हें यह फिल्म पसंद आएगी। जिनको इसकी जरा भी जानकारी नहीं है, उन्हें यह फिल्म उलझा सकती है। एक भी समीक्षक यह नहीं समझ पाया कि पूवी की पूरी कथा भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से हूबहू मिलती-जुलती है। किसी समीक्ष द्वारा अब तक इसे नहीं कहना, यह दर्शाता है कि आज के समीक्षक भी महाभारत और पुराण से बेहद कम परिचित हैं। यह फिल्म महाभारत काल से भविष्य काल के 2898 से जोड़ती है, जहां सबकुछ मशीनी और एआई नियंत्रित है। वहां की मुद्रा भी पैसे की जगह यूनिट्स में बदल चुकी है। फिल्म के पहले भाग में दर्शकों को भविष्य की दुनिया समझने में आरंभ में थोड़ी दिक्कत हो सकती है।
महाभारत में गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने जो कहा है-
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभुत्थानम् धर्मस्य तदात्मानाम् सृजाम्यहम।। 4-7।।
परित्राणाय साधूनाम्, विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।। 4-8।।
द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण ने मानवता से यह वादा किया था, इसीलिए कलियुग में उनका कल्कि अवतार होना निश्चित है। इसे समझ कर ही आप इस फिल्म को समझ सकते हैं।
फिल्म का आरंभ :-
फिल्म का आरंभ महाभारत से होता है। अश्वत्थमा अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे पर अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ देता है। बच्चे की मृत्यु हो जाती है। कृष्ण अश्वत्थामा को दंड देने के लिए उसके माथे पर चमकता शिव मणि निकाल लेते हैं, जिससे उसके माथे पर एक घाव हो जाता है, जिससे खून रिसना आरंभ हो जाता है। अश्वत्थमा कहता है कि मुझे मार डालो, लेकिन कृष्ण कहते हैं कि मृत्यु तो मुक्ति है। तुम्हें तो अनंतकाल तक जीवित रह कर दंड भोगना है। फिल्म के अनुसार, जब कलियुग में कल्कि अवतार आएंगे तो अश्वत्थामा ही उनकी मदद करेगा। तुम्हारा मणि तुम्हें खोज लेगा और जब वह आने को होंगे तो तुम्हें इसकी आहट मिल जाएगी। महाभारत का यह दृश्य और फिल्म मंे बार-बार उभरता महाभारत के दृश्य का ग्राफिक्स हाॅलिवुड के स्तर का। महाभारत में श्रीकृष्ण के चेहरे को नहीं दिखाया गया है, जबकि अर्जुन के रूप मंे दक्षिण के स्टार विजय देवरकोंडा का कैमियो अर्थात् अतिथि भूमिका है।
फिल्म का प्लाॅट :-
2898 एडी अर्थात् भविष्य को दर्शाती इस फिल्म की कहानी काशी की धुरी पर धूमती है। यह कहानी महाभारत के 6 हजार साल बाद आरंभ होता है। दुनिया नष्ट हो चुकी है। अब सिर्फ काशी बची है। एक पात्र कहता है, काशी इस पृथ्वी का पहला शहर है और आखिरी भी। काशी का कोतवाल भैरव को माना जाता है, लेकिन काशी में भी अब किसी देवता की पूजा नहीं होती है। भैरव की एक पुरानी मूर्ति एक व्यक्ति के पास है, तो फिल्म में खलपात्र उसे कहते हैं कि तुम्हें पता नहीं है कि अब किसी भी देवता की पूजा नहीं की जाती है।
भविष्य में यहां की महिलाएं पूरी तरह से बांझ अर्थात् बच्चे पैदा करने में अक्षम हो चुकी हैं। बाप बेटियों काॅप्लेक्स वल्र्ड को बेच देता है। बच्चियों की मशीन से जांच की जाती है कि वह बांझ हैं या फिर प्रजनन क्षमता वाली। बांझ को निगेटिव और प्रजनन क्षमता वाली लड़कियों को पोजिटिव कहा जाता है।
इस फिल्म में तीन तरह की दुनिया बसाई और दिखाई गई है-
- काॅम्प्लेक्स– जिसका संचालन सुप्रीम यास्किन के पास है। यह त्रिकोणात्मक पीरामिड के आकार का है, जो अंतरिक्ष में लटका हुआ है। वहां मशीन संचालित लैब हैं। इस दुनिया में सारी सुख सुविधा है। जहां काशी मे गंगा सूख चुकी है तो काॅम्प्लेक्स में समुद्र और नदिया हैं। बड़े महल हैं। यहां सारी सुख सुविधाएं हैं।
यहां का भगवान सुप्रीम यास्किन है। वह योग मुद्रा में बैठा है। यहां के लैब में प्रोजेक्ट-के चल रहा है। वह गर्भवती स्त्रियों के भ्रूण से सीरम अर्था मज्जा निकाल कर खुद को जीवित रखे हुए है। लड़कियों और महिलाओं को काॅप्लेक्स में काशी से उसके आदमी लेकर आते हैं। प्रजनन क्षमता वाली लड़कियों का लैब में कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है। और फिर मशीन से उसके सीरम को निकाल कर सुप्रीम यास्किन को जीवित रखा जाता है। बाद में उन भ्रूण वाली सारी महिलाओं को जिंदा आग में जला दिया जाता है। सुप्रीम यास्किन को प्रोजेक्ट-के के तहत 120 दिनों तक के गर्भ वाली महिलाओं की तलाश है। उसे सारा ज्ञान है। उसे पता है था की 150 दिनों तक यदि कोई गर्भ ठहर गया तो वह कल्कि हो सकते हैं। नक्षत्रों की दशा इसी समय कल्कि के आने का संकेत दे रहा है। यहां निगेटिव-पोजिटिव लड़कियों का अलग-अलग खान-पान और उनके साथ व्यवहार। कांप्लेक्स मे किसी महिला का नाम नहीं होता। वहां दी गई कोड ही उनकी पहचान है। काॅप्लेक्टस मे रह रही दीपिका पादुकोण का कोड एसयू माटी है, जिसे बाद मे संबाला की एक महिला ने सुमति नाम दे दिया।
- काशी- यहां गंगा सूख चुकी है। पूरी दुनिया नष्ट हो चुकी है। बचे-खुचे लोग काशी में ही आ कर रह रहे हैं। इस काशी में न पीने को पानी है, न सांस लेने को ठीक ऑक्सीजन है, और न ही खाने को उत्तम भोजन ही उपलब्ध है। बारिश हुए यहां दशकों बीत चुके हैं। यहां मुद्रा अर्थात् पैसे की जगह यूनिट्स चलता है। क्रिप्टो करेंसी आदि आज आ ही चुकी है, तो भविष्य में इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है।
यहां एक मारधाड करने वाला मसखरा नायक भैरव है। इसकी भूमिका प्रभास ने निभाई है। भैरव यूनिट्स की तलाश में उल्टा-सीधा काम करता है। भैरव का एक एआई पार्टनर है बुज्जी, जिसके साथ बातचीत मनोरंजन प्रदान करती है। उसकी अजीबों-गरीब गाड़ी है। वैसे भविष्य की दुनिया में ऐसे अजीबों गरीब गांड़ी को ही फिल्म में दिखाया गया है जो पृथ्वी-आकाश सभी जगह चल सकता है। - संबाला– यह मार्बल के ब्लैक पैंथर के वकांडा वाली दुनिया है। लेकिन यह भी हमारी शांग्रिला और ज्ञान गंज से प्रेरित है। तकनीक के रूप से विकसित, लेकिन बांकी दुनिया से छिपी हुई। यहां मरियम नेतृत्व कर रही है। यह रेबल की दुनिया है जो काॅम्प्लेक्स और यास्किन को अच्छाई के लिए समाप्त करना चाहता है और कल्कि के आने की प्रतीक्षा कर रहा है। इस दुनिया की महिलाएं गुप्त रूप से काॅप्लेक्स में प्रवेश कर चुकी है।
फिल्म की कहानी…..
मुख्य खलनायक सुप्रीम यास्किन काली अवतार बनने के लिए लड़कियों और महिलाओं पर जबरदस्ती मशीन के माध्यम से ब्रीडिंग कराने का काम कर रहा है। साथ ही वह इसके जरिए कल्कि अवतार को ढूंढने का प्रयास भी कर रहा है, क्योंकि इसी समय कल्कि अवतार का जन्म होना तय है नक्षत्रों के अनुसार।
सुप्रीम यास्किन का मानना है कि यदि कोई बच्चा 150 दिनों तक मां के गर्भ में ठहर जाता है तो वह कल्कि अवतार हो सकता है। यास्किन का मकसद उस महिला के गर्भ के सीरम से अपनी शक्ति को हासिल करना है। वह महिला दीपिका पादुकोण का नाम सम-80 यानी सुमति से रिप्रजेंट किया गया है।
मूवी में काम्प्लेक्स एक त्रिकोणात्मक उल्टा पीरामिड जैसा है, जहां दुनिया भर की सभी सुविधाएं हैं। वहां अंदर जाने के लिए 10 लाख यूनिट की जरूरत पड़ती है। यूनिट्स भविष्य की दुनिया की मुद्रा है। यदि यूनिट्स नहीं है तो आपको बाहर पशुवत रहना पड़ेगा। प्रभास की गुंडों को मार कर यूनिट कमाते हैं जो 10 लाख यूनिट जमा कर उसमें जाने का सपना देखता है। एक दिन लेबर के रूप में दीशा पटानी के साथ उसे जाने का अवसर मिल जाता है। काॅम्प्लेक्स की दुनिया और सुविधाओं को देखकर वह हक्का-बक्का है। वह ढेर सारा यूनिट्स कमाना चाहता है ताकि स्थाई रूप से काॅम्प्लेक्स में बस सके।
एसयू माटी उर्फ दीपिका सुप्रीम यास्किन के चंगुल से निकल कर यहां आ पहुंचती है रेबल की सहायता से। ये रेबल संबाला के हैं। संबाला मे मरियम इनकी प्रमुख है। भैरव यूनिट कमाने के लिए दीपिका को कंप्लेक्स में ले जाना चाहता है तो अश्वत्थमा दीपिका को बचाना चाहता है, क्योंकि उनके पेट में कल्कि पल रहे हैं। लड़ाई का यह दृश्य अद्भुत फिल्माया गया है, जिसमें बाजी आठ फुट के अश्वत्थमा अर्थात् अमिताभ के हिस्से लगी है। अमिताभ प्रभास पर भारी पड़े हैं। इससे पहले अश्वत्थमा को एक रेबल बच्चे के जरिए अपनी मणि मिल जाती है। वह सुमति को मां कहता है। संबाला में पहुंचते ही वर्षा होने लगती है जबकि वहां काफी समय से सूख पड़ा हुआ है।
प्रभास और अश्वत्थामा के बीच जबरदस्त फाइटिंग। हाॅलिवुड के स्तर का। अश्वत्थमा के हाथ में हमेशा लंबी लाठी जैसा अस्त्र होता है, जो दरअसल कर्ण का विजय धनुष है। लड़ाई में वह धनुष एक बार प्रभास के हाथ सट जाता है तो उसके अंदर सुपर नेचुरल पावर आ जाता है। उसका करेक्टर कर्ण मे बदल जाता है। वह वहां मौजूद जितने दुश्मन हैं उन्हें मार देता है। धनुष हाथ से छूटते ही उसकी यादाश्त चली जाती है और फिर सुमति को लेकर उसे अपने 10 लाख यूनिट कमाने की याद आती है और वह उसे काम्प्लेक्स में ले जाने के लिए अपनी गाड़ी में बैठाकर चल देता है। यहां सिनेमा समाप्त हो जाता है। लेकिन हाॅलिवुड की तरह पोस्ट क्रेडिट सीन में काॅप्लेक्स का गुरु वाणी यास्किन के पास पहुंचता है। सुमति की कोख से निकाले गये सीरम की एक बूंद लेकर जाता है। इस एक बूंद का इस्तेमाल करते ही यास्किन बूढा से जवान हो जाता है।
इससे पूर्व एक खुदाई मे अर्जुन का गांडीव मिलता है, जिसे मशीन की मदद से भूगर्म से निकाला जाता है। जब सुमति का सीरम निकालने की प्रक्रिया होती है तो पूरे काॅप्लेक्स में उथल-पुथल मच जाता है। बिजली चली जाती है। उसके बाद उस धनुष को मशीन या आदमी, जो भी उठाने का प्रयास करता है जल जाता है। लेकिन आखिर में सुमति के एक बूंद सीरम से सुपर वार से लैस हुआ यास्किन उस गांडीव को उठा लेता है और कहता है कौन काली और कौन कल्कि, सबको मैं खुद ही देख लूंगा। फिल्म यहां समाप्त हो जाती है और कंटीन्यू के रूप में कल्कि, पार्ट-2 की प्रतीक्षा आरंभ हो जाती है।
कलाकार
कल्कि के इस भाग के मुख्य नायक प्रभास नहीं, अमिताभ बच्चन हैं, जिन्होंने अश्वत्थमा का किरदार किया है। महाभारत युग के अनुरूप उनकी लंबाई 8 फुट की गई है। इस हिस्से में कृष्ण का चेहरा नहीं दिखाया गया है। संभवतः कोई बड़ा कलाकार कल्कि-2 में श्रीकृष्ण की भूमिका में दिखेगा।